लेखनी कविता -पी जा हर अपमान - बालस्वरूप राही

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पी जा हर अपमान / बालस्वरूप राही पी जा हर अपमान और कुछ चारा भी तो नहीं ! तूने स्वाभिमान से जीना चाहा यही ग़लत था कहाँ पक्ष में तेरे किसी ...

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